हर साल हमें कई सूर्य और चंद्र ग्रहण दिखाई देते हैं, जो पूर्ण (खग्रास) अथवा आंशिक (खंडग्रास) होते हैं| ग्रहण की घटना का इस सम्पूर्ण चरा-चर जगत पर विशेष प्रभाव पड़ता है, ग्रहण के लगने से पहले ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है, और ग्रहण की समाप्ति के बाद भी कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है| विज्ञान के अनुसार ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पडती है, तब ग्रहण होता है| जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है, तब सूर्य ग्रहण पड़ता है| और जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं| इस घटना में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है| जिसके कारण चंद्रमा अदृश्य हो जाते हैं या दृश्यता कम हो जाती है| यह घटना पूर्णिमा की रात को होती है|
ग्रहण काल में वातावरण में रज-तम बढ जाता है, जिसका मानव पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है| बढे हुए रज-तम का लाभ उठाकर अनिष्ट शक्तियां अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करती हैं, जिनका पूरी सृष्टि पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है| ग्रहण का मानव पर होनेवाला अधिकतम सूक्ष्म स्तरीय प्रतिघात इस बात पर निर्भर है, कि वह किस क्षेत्र में सर्वाधिक दिखाई दे रहा है| जितनी दृश्यता अधिक उतना ही उस क्षेत्र के लोगों पर अधिक प्रभाव पडता है| इस घटना से द्वादश राशियां भी प्रभावित होती हैं, इसलिए ग्रहण के बाद दान और स्नान की सलाह दी जाती है| यही नहीं ग्रहण के 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है, और मंदिरों के पट भी बंद हो जाते हैं|
वर्ष 2020 में दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं, ये छः सूर्य चंद्र ग्रहण अलग-अलग समय पर और अलग-अलग महीने में लगेंगे| वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण की घटना अशुभ मानी जाती है| इसलिए इस दौरान कई तरह के शुभ कार्यों को करना वर्चित माना गया है, ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार ग्रहण से केवल प्रकृति पर ही फर्क नहीं पड़ता बल्कि मानव जाति भी प्रभावित होती है| आइए जानते हैं कि वर्ष 2020 में पड़ने वाले सूर्य चंद्रग्रहण का इस सृष्टि पर क्या प्रभाव पड़ेगा|
ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य और चंद्र ग्रहण
ज्योतिष के अनुसार ग्रहण तब पड़ता है जब राहु या केतु सूर्य या चंद्रमा के साथ किसी राशि या भाव में एक साथ आ जाते हैं| राहु और केतु सूर्य व चंद्रमा के ही दो संपात (काल्पनिक) बिंदू (Nodes) उत्तरी नोड और दक्षिणी नोड हैं| पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत को जब मोहिनी रुप धारण कर भगवान विष्णु सब देवताओं को बांट रहे थे, तब उस समय स्वरभानु नाम का एक असुर देवताओं का रुप धारण कर देवताओं के बीच में खड़ा हो गया| लेकिन सूर्य और चंद्रमा को स्वरभानु के बारे में पता चल गया, और उन्होंने यह बात भगवान विष्णु को बता दी| इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शनचक्र से स्वरभानु के धड़ को सिर से अलग कर दिया| लेकिन स्वरभानु मरा नहीं, क्योंकि तब तक वह अमृत का पान कर चुका था| तब से स्वरभानु के सिर वाले भाग को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना जाता है| ऐसा माना जाता है कि, सूर्य और चंद्र देव ने राहु-केतु यानि स्वरभानु का भेद भगवान विष्णु को बताया था, इसलिए शत्रुतावश राहु-केतु, सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए इन दोनों को ग्रहण से ग्रसित करते हैं|
वर्ष 2020 में कुल छः सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं, जिनका प्रभाव अच्छा या बुरा मानव जीवन पर पड़ेगा| तो आइये जानते हैं वर्ष 2020 में पड़ने वाले ग्रहणों के बारे में|
2020 का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण- (surya Grahan on 21 June 2020)
वर्ष 2020 में पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगेगा| यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 09 बजकर 15 मिनट पर लगेगा, और 15 बजकर 04 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 49 मिनट है| वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है| यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और मृगशिरा नक्षत्र में पड़ेगा| इसलिए मिथुन राशि के जातकों पर इस ग्रहण का प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है|
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2020 का दूसरा पूर्ण सूर्य ग्रहण- (surya Grahan on 14-15 December 2020)
वर्ष 2020 में दूसरा सूर्य ग्रहण 14-15 दिसंबर को दिखेगा| यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 19 बजकर 03 मिनट पर लगेगा, और 00 बजकर 23 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 20 मिनट है| वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत, अफ्रीका का दक्षिणी भाग, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक, और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है| यह सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में कृष्ण पक्ष अमावस्य़ा तिथि और ज्येष्ठा नक्षत्र को पड़ेगा| अत: वृश्चिक राशि के जातकों को इस समय अब्धि में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है|
2020 का पहला उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 10-11 January 2020)
वर्ष 2020 में पहला चंद्र ग्रहण वर्ष के पहले माह यानि 10-11 जनवरी को लगेगा| यह चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 10 बजकर 37 मिनट पर लगेगा, और 11 जनवरी को रात्रि 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 06 मिनट है| वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है| यह चंद्र ग्रहण मिथुन राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान घटित होगा| इसलिए मिथुन राशि के जातकों पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा|
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2020 का दूसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 5-6 June 2020)
वर्ष 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगेगा| यह 5 जून की रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा, और 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा| इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 19 मिनट की रहेगी, यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में देखा जाएगा| यह वृश्चिक राशि में ज्येष्ठा नक्षत्र में कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि को होगा| इस ग्रहण की वजह से वृश्चिक राशि के जातकों के जीवन में कुछ बदलाव आ सकते हैं|
2020 का तीसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 5 July 2020)
वर्ष 2020 का तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई 2020 को लगेगा| यह 5 जुलाई की सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरू होगा और 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा| इस ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 45 मिनट रहेगी| हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इस ग्रहण को अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा| यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा| इसलिए धनु राशि के जातकों के जीवन में इस अवधि में कुछ परेशानियां हो सकती हैं|
2020 का चौथा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 30 November 2020)
वर्ष 2020 का चौथा और अंतिम चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को होगा| यह ग्रहण दोपहर को 1 बजकर 2 मिनट से शुरू होगा और शाम 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगा| इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 21 मिनट की है| यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जायेगा| यह चंद्र ग्रहण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में होगा| इसलिए वृषभ राशि के जातकों को इस समय कुछ परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है|
ग्रहण काल में मंत्रों का जाप
1.सूर्य ग्रहण के समय निम्न मंत्र का जाप करें|
"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात"
2.चंद्र ग्रहण के समय इस मंत्र का जाप करें|
“ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्”
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2020 में ग्रहण का सूतक काल
हिंदू धर्म में सूतक काल के समय कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है| क्योंकि सूतक काल एक ऐसा अशुभ समय होता है, शास्त्रों के अनुसार इस काल अब्धि में किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए| सामान्यत: ग्रहण लगने से कुछ घंटों पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, एक दिन के 24 घंटों को 8 पहर में बांटा जाता है इसलिए प्रत्येक पहर 3 घंटे का होता है| सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल 4 पहर पहले यानि 12 घंटे पहले शुरु हो जाता है और सूर्य ग्रहण के बाद खत्म होता है| वहीं चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल 3 पहर पहले यानि 9 घंटे पहले शुरु होता है और चंद्र ग्रहण के बाद खत्म होता है| सूतक के बाद शुद्ध जल से स्नान अवश्य करना चाहिए| और पूजा उपासना करनी चाहिए|
सूतक के समय क्या न करें
- किसी भी नए कार्य की शुरुआत न करें|
- सूतक के समय भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है|
- देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श नहीं करना चाहिए|
- दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें|
ग्रहण काल में क्या करना चाहिए
- सूर्य और चन्द्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए|
- ध्यान, भजन, और ईश्वर की आराधना करनी चाहिए|
- ग्रहण के दौरान आपको धार्मिक और प्रेरणादायक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए|
- ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करें|
- ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएँ और उनकी पूजा करें|
- सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन बनायें|
- यदि भोजन पहले से बना हुआ है, तो ग्रहण से पूर्व उसमें तुलसी डाल दें, ताकि भोजन दूषित न हो|
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए| क्योंकि इस दौरान वातावरण में उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है|
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटना या छीलना जैसे कार्य नहीं करने चाहिए| क्योंकि ऐसा करने से बच्चों के अंगों को क्षति पहुंच सकती है|
- सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए| "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ” मंत्र का जाप करना चाहिए|
- चंद्र देव की आराधना करनी चाहिए| “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ” का जप करें|
- ग्रहण के बाद जरुरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को अनाज का दान करें|
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