वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है| जिसका भारतीय ज्योतिष में बड़ा महत्व है| चंद्र ग्रहण की घटना का इस सम्पूर्ण चरा-चर जगत पर विशेष प्रभाव पड़ता है, और इस घटना से द्वादश राशियां भी प्रभावित होती हैं, इसलिए ग्रहण के बाद दान और स्नान किया जाता है| यही नहीं ग्रहण के 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है, और मंदिरों के पट भी बंद हो जाते हैं| इसकी वजह से वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा छा जाती है| वर्ष 2020 में चार चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं, ये चारों चंद्र ग्रहण अलग-अलग समय पर और अलग-अलग महीने में लगेंगे| वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण की घटना अशुभ मानी जाती है| इसलिए इस दौरान कई तरह के शुभ कार्यों को करना वर्चित माना गया है, ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार ग्रहण से केवल प्रकृति पर ही फर्क नहीं पड़ता बल्कि मानव जाति भी प्रभावित होती है| आइए जानते हैं कि वर्ष 2020 में पड़ने वाले चार चंद्रग्रहण का इस सृष्टि पर क्या प्रभाव पड़ेगा|
वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण-
खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण तब पड़ता है, जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं| इस घटना में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है| जिसके कारण चंद्रमा अदृश्य हो जाते हैं या दृश्यता कम हो जाती है| यह घटना पूर्णिमा की रात को होती है| चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं|
1.पूर्ण चंद्र ग्रहण- जब पृथ्वी पूरी तरह से चन्द्रमा को ढक लेती है, और चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता तो पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है|
2.आंशिक चंद्र ग्रहण- जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है, और आंशिक रुप से पृथ्वी चंद्रमा को ढक लेती है, तो आंशिक चंद्रग्रहण कहा जाता है|
3.उपच्छाया चंद्र ग्रहण- उपच्छाया चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया वाले क्षेत्र में चंद्रमा आ जाता है और चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश कटा हुआ प्रतीत होता है|
ज्योतिष की दृष्टि से चंद्र ग्रहण-
ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण तब पड़ता है जब राहु या केतु चंद्रमा के साथ किसी राशि या भाव में एक साथ आ जाते हैं| राहु और केतु चंद्रमा के ही दो संपात (काल्पनिक) बिंदू (Nodes) उत्तरी नोड और दक्षिणी नोड हैं|पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन में निकले अमृत को जब मोहिनी रुप धारण कर भगवान विष्णु सब देवताओं में बांट रहे थे, तो उस समय स्वरभानु नाम का एक असुर देवताओं का रुप धारण कर देवताओं के बीच आ गया लेकिन सूर्य और चंद्रमा को स्वरभानु के बारे में पता लग गया, और उन्होंने यह बात भगवान विष्णु को बता दी| इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र से स्वर भानु के धड़ को सिर से अलग कर दिया| लेकिन स्वरभानु मरा नहीं, क्योंकि तब तक वह अमृत का पान कर चुका था| तब से स्वरभानु के सिर वाले भाग को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना जाता है| ऐसा माना जाता है कि, सूर्य और चंद्र देव ने राहु-केतु यानि स्वरभानु का भेद भगवान विष्णु को बताया था, इसलिए शत्रुतावश राहु-केतु, सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए इन दोनों को ग्रहण से ग्रसित करते हैं|
2020 का पहला उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 10-11 January 2020)
वर्ष 2020 में पहला चंद्र ग्रहण साल के पहले माह यानि 10-11 जनवरी को लगेगा| यह चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 10 बजकर 37 मिनट पर लगेगा और 11 जनवरी को रात्रि 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 06 मिनट है| वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है| यह चंद्र ग्रहण मिथुन राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के दौरान घटित होगा| इसलिए मिथुन राशि के जातकों पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा|
2020 का दूसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 5-6 June 2020)
वर्ष 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को लगेगा| यह 5 जून की रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा, और 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा| इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 19 मिनट की रहेगी, यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में देखा जाएगा| यह वृश्चिक राशि में ज्येष्ठा नक्षत्र में कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि को होगा| इस ग्रहण की वजह से वृश्चिक राशि के जातकों के जीवन में कुछ बदलाव आ सकते हैं|
2020 का तीसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 5 July 2020)
वर्ष 2020 का तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई 2020 को लगेगा| यह 5 जुलाई की सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरू होगा और 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा| इस ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 45 मिनट रहेगी| हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इस ग्रहण को अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा| यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा| इसलिए धनु राशि के जातकों के जीवन में इस अवधि में कुछ परेशानियां हो सकती हैं|
2020 का चौथा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 30 November 2020)
वर्ष 2020 का चौथा और अंतिम चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को होगा| यह ग्रहण दोपहर को 1 बजकर 2 मिनट से शुरू होगा और शाम 5 बजकर 23 मिनट तक रहेगा| इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 21 मिनट की है| यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जायेगा| यह चंद्र ग्रहण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में होगा| इसलिए वृषभ राशि के जातकों को इस समय कुछ परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है|
सूतक के समय क्या न करें-
- किसी भी नए कार्य की शुरुआत न करें|
- न हीं भोजन बनाएँ और न हीं भोजन ग्रहण करें|
- मूर्ति पूजा और मूर्तियों का स्पर्श न करें, न ही तुलसी के पौधे का स्पर्श करें|
चंद्रग्रहण के समय क्या करें-
- चंद्रग्रहण समाप्त होने पर घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें|
- स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएँ और उनकी पूजा करें|
- चंद्र ग्रहण के दौरान आपको धार्मिक और प्रेरणादायक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए|
- ग्रहण समाप्त होने पर ताजा भोजन बनाएँ और खाएं|
- यदि भोजन पहले से बना हुआ है, तो ग्रहण से पूर्व उसमें तुलसी डाल दें, ताकि भोजन दूषित न हो|
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए| क्योंकि इस दौरान वातावरण में उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है|
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटना या छीलना जैसे कार्य नहीं करने चाहिए| क्योंकि ऐसा करने से बच्चों के अंगों को क्षति पहुंच सकती है|
- चंद्र देव की आराधना करनी चाहिए| “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ” का जप करें|
- चंद्रग्रहण के बाद जरुरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को अनाज का दान करें|
वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह से जुड़े कुछ तथ्य-
खगोल विज्ञान ने चंद्रमा को उपग्रह माना है, लेकिन वैदिक ज्योतिष में इसे ग्रह की संज्ञा दी गई है| और नवग्रहों में यह एक महत्वपूर्ण ग्रह है| चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है और वृषभ राशि में यह उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है| जन्म कुंडली में यह मन का कारक ग्रह माना गया है, पारिवारिक खुशहाली, तेज दिमाग और अच्छे व्यक्तित्व के लिये कुंडली में चंद्रमा का मजबूत होना बहुत आवश्यक है| वहीं अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, तो इसकी वजह से शारीरिक विकास और माँ के सुखों में कमी आती है, और ऐसे इंसान का मन अस्थिर रहता है| जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है उन्हें मोती रत्न धारण करना चाहिए| और नित्य शिव की उपासना करनी चाहिए, यदि आप अपने चंद्रमा को मजबूत कर लें तो आपको लाभकारी परिणामों की प्राप्ति होगी|
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